PMLA कोर्ट ने खारिज की हेमंत सोरेन की जमानत याचिका

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झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को शनिवार को उस वक्त बड़ा झटका लगा जब रांची की विशेष PMLA (प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट) अदालत ने भूमि घोटाला मामले में उन्हें अंतरिम जमानत देने से इनकार कर दिया. हेमंत सोरेन ने अपने चाचा के अंतिम संस्कार में शामिल होने के लिए कोर्ट से 13 दिनों की अंतरिम जमानत की मांग की थी. उन्होंने कोर्ट को बताया था कि उनके पिता के बड़े भाई का निधन हो गया है, और वे उनके श्राद्ध तक अंतरिम जमानत चाहते हैं, जिसका विरोध ईडी की ओर से किया गया. इस मामले की सुनवाई के बाद कोर्ट ने उन्हें जमानत देने से इनकार कर दिया.

इससे पहले शनिवार सुबह हेमंत सोरेन के पिता और झामुमो सुप्रीमो शिबू सोरेन के बड़े भाई राम सोरेन का निधन हो गया. वह लंबे समय से बीमार चल रहे थे. प्राप्त जानकारी के मुताबिक वह रांची में ही रहते थे.

बता दें कि झारखंड में भूमि घोटाले से संबंधित मनी लॉन्ड्रिंग के एक मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) के नेता और पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को 31 जनवरी को गिरफ्तार किया था और वे करीब तीन महीने से न्यायिक हिरासत में जेल में हैं. ईडी ने इस मामले में सात घंटे तक पूछताछ के बाद उन्हें गिरफ्तार किया था. फिलहाल पूर्व मुख्यमंत्री रांची की बिरसा मुंडा होटवार जेल में बंद हैं.

पहले भी जमानत याचिका लगा चुके हैं सोरेन

पूर्व सीएम हेमंत सोरेन ने इससे पहले 16 अप्रैल को PMLA (धनशोधन रोकथाम कानून) की विशेष अदालत के सामने जमानत याचिका दायर की थी. जिसमें आरोप लगाया गया था कि ईडी द्वारा उनकी गिरफ्तारी राजनीति से प्रेरित थी और उन्हें भाजपा में शामिल होने के लिए मजबूर करने की एक सुनियोजित साजिश का हिस्सा थी. इस पर जवाब देने के लिए कोर्ट ने ईडी को एक सप्ताह का समय दिया था. इसके बाद 23 अप्रैल को जब याचिका पर सुनवाई हुई तो ईडी ने इस जमानत याचिका पर जवाब देने के लिए दो और सप्ताह का समय मांग लिया. जिसका विरोध सोरेन के वकीलों ने किया और दावा किया कि जांच एजेंसी जानबूझकर जमानत में देरी कराना चाहती है ताकि पूर्व मुख्यमंत्री जेल से बाहर आकर चुनाव प्रचार न कर सकें. हालांकि इसके बाद भी कोर्ट ने ईडी को एक सप्ताह का समय और दे दिया. अब इस मामले की अगली सुनवाई 1 मई को होगी.

 

हाईकोर्ट द्वारा फैसला ना सुनाने को लेकर सुप्रीम कोर्ट गए

हेमंत सोरेन ने 24 अप्रैल (बुधवार) को उच्चतम न्यायालय का दरवाजा खटखटाते हुए अदालत को बताया कि मनी लॉन्ड्रिंग मामले में ईडी की ओर से की गई गिरफ्तारी को चुनौती देने वाली उनकी याचिका पर उच्च न्यायालय फैसला नहीं सुना रहा है. सोरेन की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने न्यायमूर्ति संजीव खन्ना और न्यायमूर्ति दीपांकर दत्ता की पीठ को बताया कि उच्च न्यायालय ने उनकी याचिका पर 28 फरवरी को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था, लेकिन अभी तक कोई निर्णय नहीं सुनाया गया है. जिसके बाद न्यायमूर्ति खन्ना ने कहा कि वह याचिका को सूचीबद्ध करने पर कुछ नहीं कह सकते और प्रधान न्यायाधीश का सचिवालय याचिका को सूचीबद्ध करने की तारीख देगा.