Gyanvapi Case: ज्ञानवापी में पूजा और नमाज रहेगी जारी, सुप्रीम कोर्ट का आदेश

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Gyanvapi Mosque Case: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अपने आदेश में वाराणसी जिला अदालत के उस आदेश को बरकरार रखा था, जिसमें हिंदुओं को ज्ञानवापी मस्जिद के दक्षिणी तहखाने ‘व्यास तहखाना’ के अंदर देवताओं की पूजा करने की अनुमति दी गई थी.उच्चतम न्यायालय ने दक्षिणी तहखाने में हिंदू पक्ष द्वारा पूजा करने और ज्ञानवापी में मुसलमानों द्वारा नमाज अदा करने के संबंध में यथास्थिति बनाए रखने का आदेश दिया.

सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा?
सुप्रीम कोर्ट ने इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए कहा कि 17 जनवरी और 31 जनवरी (तहखाना के अंदर पूजा की अनुमति) के आदेशों के बाद मुस्लिम समुदाय द्वारा ज्ञानवापी मस्जिद में बिना किसी बाधा के ‘नमाज’ पढ़ी जाती है और हिंदू पुजारी द्वारा ‘पूजा’ की पेशकश तक ही सीमित है. ‘तहखाना’ क्षेत्र में यथास्थिति बनाए रखना उचित है ताकि दोनों समुदाय उपरोक्त शर्तों के अनुसार पूजा करने में सक्षम हो सकें.

हिंदू पक्ष को जारी किया नोटिस
सुप्रीम कोर्ट ने ज्ञानवापी मस्जिद के तहखाने में हिंदुओं को पूजा-पाठ की अनुमति देने के खिलाफ मस्जिद प्रबंधन की याचिका पर काशी विश्वनाथ मंदिर के ट्रस्टियों को नोटिस जारी किया है. उच्चतम न्यायालय ने काशी विश्वनाथ मंदिर के ट्रस्टियों, अन्य से 30 अप्रैल तक जवाब मांगा है.

अदालत के आदेश पर भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) द्वारा किए गए एक सर्वेक्षण में यह बात सामने आयी थी कि ज्ञानवापी मस्जिद का निर्माण मुगल सम्राट औरंगजेब के शासनकाल के दौरान एक हिंदू मंदिर के अवशेषों पर किया गया था.

वाराणसी की कोर्ट ने दी थी पूजा की इजाजत
जिला अदालत ने 31 जनवरी को फैसला सुनाया था कि एक हिंदू पुजारी मस्जिद के दक्षिणी तहखाने में मूर्तियों की पूजा कर सकता है. अब पूजा-अर्चना काशी विश्वनाथ मंदिर ट्रस्ट द्वारा नामित एक हिंदू पुजारी और याचिकाकर्ता शैलेन्द्र कुमार पाठक द्वारा की जा रही है. पाठक का दावा है कि उनके नाना सोमनाथ व्यास, जो एक पुजारी भी थे, ने दिसंबर 1993 तक तहखाने में पूजा-अर्चना की थी.