सेबी ने जी एंटरटेनमेंट के खातों से ₹2,000 करोड़ की हेराफेरी पकड़ी

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सेबी ने कथित तौर पर जी एंटरटेनमेंट एंटरप्राइजेज के खातों में ₹2,000 करोड़ (240 मिलियन डॉलर से अधिक) की हेराफेरी पकड़ी है. यह सोनी के साथ मर्जर डील टूटने के एक महीने से भी कम समय में इस मीडिया फर्म के लिए एक और झटका है. सोनी के साथ 10 अरब डॉलर की मर्जर योजना विफल होने के बाद जी के सीईओ निवेशकों को जहां आश्वस्त करने की कोशिश कर रहे हैं और अब सेबी के इस नए खुलासे ने गोयनका की मुसीबतें बढ़ा दी हैं .

ब्लूमबर्ग की एक रिपोर्ट में कहा गया है सेबी ने कंपनी से लगभग 241 मिलियन डॉलर की हेराफेरी का मामला पकड़ा है. यह रकम सेबी जांचकर्ताओं द्वारा शुरू किए गए अनुमान से लगभग दस गुना अधिक है.

रिपोर्ट में कहा गया है कि गायब पाई गई यह रकम अंतिम नहीं है. सेबी ने अपना पक्ष रखने के लिए जी के संस्थापकों, सुभाष चंद्रा, उनके बेटे पुनीत गोयनका और कुछ बोर्ड मेंबर समेत सीनियर अधिकारियों को बुलाया है.

वहीं, सेबी के प्रवक्ता ने ब्लूमबर्ग और रॉयटर्स के ईमेल प्रश्नों का जवाब नहीं दिया. जबकि, जी के एक प्रवक्ता ने कहा है कि कंपनी चल रही जांच में सेबी द्वारा मांगी गई सभी जानकारी या स्पष्टीकरण देने की प्रक्रिया में है.

बता दें पिता-पुत्र की जोड़ी की कथित वित्तीय अनियमितताओं की नियामक जांच के कारण 2023 से सोनी और जी के बीच काफी तकरार हुई है. इसने सोनी को गोयनका को मर्ज की गई यूनिट का नेतृत्व देने से इनकार कर दिया. हालांकि, 2021 के मर्जर के समझौते में उनसे सीईओ पद का वादा किया गया था. इस गतिरोध के कारण अंततः सोनी को जनवरी में डील रद्द करनी पड़ी.

सेबी ने अगस्त के एक आदेश में चंद्रा और गोयनका को अपने पद के दुरुपयोग और व्यक्तिगत लाभ के लिए फंड की हेराफेरी का हवाला देते हुए किसी भी लिस्टेड फर्म में सीईओ या डायरेक्टर पद संभालने से प्रतिबंधित कर दिया था. जी ने इस आदेश के ख़िलाफ़ अपील की, जिससे अक्टूबर में आंशिक राहत मिली, जिससे गोयनका को चल रही जांच के दौरान कार्यकारी पद पर बने रहने की अनुमति मिल गई.