रतनपुर में मां महामाया का दिव्य धाम, दर्शन करने से मिलता है पुण्य…जानिए मां के धाम की पूरी कहानी

यह मंदिर कलचुरी राजा रत्नदेव ने 12वीं शताब्दी में बनवाया था

बिलासपुर। जिले के रतनपुर में मां महामाया का दिव्य धाम है। यह अलौकिक मंदिर 51 शक्तिपीठों में से एक है। मान्यता के मुताबिक यहां देवी सती का दाहिना स्कंध यानि कंधा गिरा था। दरअसल, इस मंदिर का निर्माण कलचुरी राजा रत्नदेव प्रथम ने 12वीं शताब्दी में करवाया था। गर्भगृह में मां महालक्ष्मी और महासरस्वती के रूप के दर्शन होते हैं। भगवान शिव ने स्वयं आविर्भूत होकर इसे कौमारी शक्ति पीठ का नाम दिया था।

ऐसा माना जाता है कि मां के दर्शन से कुंवारी कन्याओं को सौभाग्य की प्राप्ति होती है। मां के दरबार में जो भी अर्जी लेकर आता है, मां उसे पूरा जरूर सुनती हैं। मंदिर में प्रातःकाल से देर रात तक भक्तों की भीड़ लगी रहती है। खासतौर पर दोनों ही नवरात्रों में यहां खास आयोजन होते हैं। माना जाता है कि नवरात्र में यहां की गई पूजा निष्फल नहीं जाती है।

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पवित्र और पौराणिक नगरी रतनपुर को पहले मणिपुर के नाम से जाता था। मान्यता है कि 11वीं सदी में कलचुरी राजा रत्नदेव प्रथम शिकार के वक्त मणिपुर गांव में रात्रि विश्राम के लिए रुके थे। अर्धरात्रि में जब राजा की आंख खुली तब उन्होंने वट वृक्ष के नीचे आलौकिक प्रकाश देखा और ये देखकर चमत्कृत हो गए कि वहां आदिशक्ति मां महामाया देवी की सभा लगी हुई है। सुबह होने पर वे अपनी राजधानी तुम्मान खोल लौट गए और मणिपुर का नाम रतनपुर कर इसे अपनी राजधानी बनाने का निर्णय लिया और महामाया देवी का भव्य मंदिर बनवाया।

सबसे पहले करें काल भैरव के दर्शन

रतनपुर- बिलासपुर राजमार्ग में रतनपुर के प्रवेश द्वार पर सिद्ध तंत्र पीठ भगवान काल भैरव नाथ का विशाल और ऐतिहासिक मंदिर है। मां महामाया के दरबार में हाजिरी लगाने से पहले काल भैरव के दर्शन करने होते हैं। यहां गर्भगृह में काल भैरव की 12 फीट की विशाल प्रतिमा स्थापित है। नगर कोतवाल काल भैरव को भगवान शिव का रुद्र अवतार माना गया है। यही वजह है कि यहां भैरवनाथ की प्रतिमा का श्रृंगार भगवान शिव के रूप में किया जाता है। मां महामाया के दर्शन के लिए आने वाले श्रद्धालु भैरवनाथ के दर्शन करने के बाद ही आगे बढ़ते हैं।

रतनपुर में यहां रुक सकते हैं भक्त

रतनपुर के पास स्थित खूंटाघाट में छत्तीसगढ़ पर्यटन मंडल द्वारा संचालित विश्राम गृह है, रतनपुर में शासकीय विश्राम गृह और महामाया मंदिर ट्रस्ट की ओर से एक सर्वसुविधायुक्त धर्मशाला भी उपलब्ध है। वहीं बिलासपुर शहर में भी विश्राम गृह के साथ ही कई होटल उपलब्ध हैं।

ऐसे पहुंचे मां के धाम

रतनपुर से रायपुर की दूरी करीब 141 किलोमीटर है, जहां हवाई और सड़क मार्ग के जरिए पहुंचा जा सकता है। नजदीकी रेलवे स्टेशन बिलासपुर जंक्शन है जो मुंबई-हावड़ा मुख्य मार्ग पर स्थित है। पर्यटन स्थल के बारे में अधिक जानकारी, पैकेज टूर और रिसॉर्ट बुकिंग के लिए छत्तीसगढ़ पर्यटन मंडल की वेबसाइट www.chhattisgarhtourism.in  देखें या कॉल सेंटर पर संपर्क कर सकते हैं।

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