छत्तीसगढ़ में भूलन द मेज टैक्स फ्री, जानिए क्यों है खास ये फिल्म

भूलन कांदा उपन्यास पर आधारित है यह फिल्म

रायपुर। छत्तीसगढ़ में भूलन द मेज को टैक्स फ्री कर दिया है। दरअसल, नेशनल फिल्म अवार्ड से सम्मानित फिल्म भूलन द मेज छत्तीसगढ़ की संस्कृति और लोकप्रचलित मान्यताओं को कहानी का रूप देकर लिखी गई संजीव बख्शी के उपन्यास भूलन कांदा पर यह फिल्म आधारित है। इसे छत्तीसगढ़ी सिनेमा के जाने-माने डायरेक्टर मनोज वर्मा ने छत्तीसगढ़ी भाषा में बनाई है। यह फिल्म भूलन कांदा उपन्यास पर आधारित है, इसके लेखक संजीव बख्शी हैं।

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गौरतलब है कि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल अपने मंत्रिमंडल के सदस्यों, विधायकों, अन्य जनप्रतिनिधियों और मीडिया के साथियों के साथ इस फिल्म को देख चुके हैं। इसके बाद ही सीएम भूपेश ने इस फिल्म को टैक्स फ्री करने की घोषणा की। इस फिल्म को दर्शक भी खूब पसंद कर रहे हैं। थियेटरों में लोग परिवार संग जाकर फिल्म का आनंद उठा रहे हैं।

फिल्म को लेकर पहली बार व्यापक स्तर पर प्रमोशन भी किया गया था। दर्शकों की प्रतिक्रिया है कि इस क्वालिटी की फिल्म बहुत कम बनती है। बच्चों को भी ये फिल्म खूब भा रही है। इस फिल्म को बेस्ट छत्तीसगढ़ी फिल्म का अवार्ड भी मिला है।

एक कार्यक्रम में फिल्म के निर्देशक मनोज वर्मा ने कहा कि फिल्म में सिर्फ मनोरंजन होता तो तारीफ होना स्वाभाविक है लेकिन जब फिल्म हास्य और व्यंग्य के जरिए समाज और न्याय मिलने वाली प्रक्रिया पर कटाक्ष करे तो इसे नेक्स्ट लेवल का सिनेमा कहा जा सकता है।

भूलन कांदा के जरिए यह संदेश दिया गया है कि हमारी न्याय व्यवस्था का पांव भी भूलन कांदा पर पड़ गया है और उसे छूकर जगाने की सख्त जरूरत है।

भूलन द मेज को मिला नेशनल अवॉर्ड

छत्तीसगढ़ की पहचान यहां के धान, किसान, लोककला, संस्कृति, इंफ्रास्ट्रक्चर और यहां की बोली-भाषा से है. इसके साथ ही फिल्म जगत में नई पहचान के साथ भी छत्तीसगढ़ तेजी से उभर रहा है। 67वें राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार समारोह में छत्तीसगढ़ की फिल्म भूलन द मेज को राष्ट्रीय पुरस्कार से नवाजा गया।

ये है फिल्म की कहानी

फिल्म के टाइटल में भूलन शब्द का जिक्र है, इसका मतलब भूलन कांदा से है। यह छत्तीसगढ़ के जंगलों में पाया जाने वाला एक पौधा है, जिस पर पैर पड़ने से इंसान सब कुछ भूलने लगता है। रास्ता भूल जाता है, वह भटकने लगता है, इस दौरान कोई दूसरा इंसान जब आकर उस इंसान को छूता है तब जाकर फिर से वह होश में आता है। यही पूरी फिल्म का सार है।

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